नया हास्य
एक दिन पड़ोसियों का प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिलने आया, आ ही गया।
बोले आप दिनभर घर पर क्यों रहते हो ?
मैंने कहा ‘क्यों, कोई दिक्क़त है ?’
बोले, ‘दिक्क़त तो बहुत है’
मैंने कहा,‘ख़ुलकर बताओ’
‘कहने लगे,‘क्योंकि हम भी पूरे दिन घर पर ही रहते हैं, कहीं आपको पता न चल जाए इस डर से न तो टीवी देख पाते हैं, न बात कर पाते हैं, न घात कर पाते हैं, न लात कर पाते हैं....वग़ैरह....
‘ओह! मैंने कहा,‘मैं भी चला जाया करुंगा’
‘कहां ?’
‘फ़ेसबुक पर’
-संजय ग्रोवर
एक दिन पड़ोसियों का प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिलने आया, आ ही गया।
बोले आप दिनभर घर पर क्यों रहते हो ?
मैंने कहा ‘क्यों, कोई दिक्क़त है ?’
बोले, ‘दिक्क़त तो बहुत है’
मैंने कहा,‘ख़ुलकर बताओ’
‘कहने लगे,‘क्योंकि हम भी पूरे दिन घर पर ही रहते हैं, कहीं आपको पता न चल जाए इस डर से न तो टीवी देख पाते हैं, न बात कर पाते हैं, न घात कर पाते हैं, न लात कर पाते हैं....वग़ैरह....
‘ओह! मैंने कहा,‘मैं भी चला जाया करुंगा’
‘कहां ?’
‘फ़ेसबुक पर’
-संजय ग्रोवर